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गुमनाम पत्र से सोनम वांगचुक को पता चला कि वे जाँच के घेरे में, कहा-मरने से नहीं डरता!

 26 Apr 2024

पर्यावरण एक्टिविस्ट और लद्दाख़ को पूर्ण राज्य बनाने की माँग कर रहे सोनम वांगचुक को ‘अज्ञात’ व्यक्तियों से जानकारी मिली है कि उनके संस्थान के खातों की केंद्र सरकार जाँच करवा रही है। इसके अलावा वांगचुक की जान को भी ख़तरा है। वांगचुक ने कहा है कि उन्हें किसी भी चीज़ का कोई ड़र नहीं है। जाँच से लोगो को भी पता चलेगा कि उनका संस्थान क्या और कैसे काम करता है। उन्होंने कहा कि उन्हें मौत से डर नहीं लगता क्योंकि कभी-कभी मौतें क्रांतियों को भी जन्म देती हैं।सोनम बांगचुक वही हैं जिनको आधार बनाकर आमिर ख़ान की मशहूर फ़िल्म थ्री ईडियट्स बनी थी।


मैं मरने और जाँच करवाने से नहीं डरता - सोनम वांगचुक

पर्यावरण एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने कहा कि रविवार को उन्हें ग़ुमनाम नाम और पते से एक पत्रा मिला है। इसमें कहा गया है कि एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग विभाग ने लद्दाख में उनके संस्थान के बैंक खातों की जानकारी ली है, जिस पर विभाग जाँच कर रहा है। उन्होंने कहा कि उनके एक अन्य शुभचिंतक ने उन्हें बताया है कि उनकी जान को भी ख़तरा हैं। वांगचुक लद्दाख में दो संस्थान चलाते है-  वांगचुक स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ़ लद्दाख़ और हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स।

वांगचुक ने कहा कि पत्र में बताया गया कि उनके ख़िलाफ़ जो जाँच चल रही है, उसकी जानकारी उन्हें नहीं लगने चाहिये, जाँच को गुप्त रखा गया है। लेकिन वांगचुक के शुभचिंतक ने उनके ऊपर चल रही जाँच के बारे में बताना सही समझा। वांगचुक ने कहा कि वो मरने से नहीं डरते हैं, अगर वो मर भी गये तो लोगों को कम से कम पता तो चलेगा कि देश किस तरह से चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें लद्दाख़ के लिए आवाज़ उठाते हुए मरने में ख़ुशी होगी, क्योंकि कभी-कभी मौतें क्रांतियों को भी जन्म देती हैं।

वांगचुक ने उनके संस्थान के ख़िलाफ़ चल रही जाँच का भी स्वागत किया और कहा कि इससे सभी लोगों को पता चलेगा कि उनके संस्थान में क्या होता है।


लद्दाख़ को राज्य का दर्ज़ा दिलाने की लड़ाई लड़ रहे हैं वांगचुक

सोनम वांगचुक लद्दाख़ को केंद्रशासित प्रदेश से राज्य का दर्ज़ा और छठी अनुसूची को लागू करवाने के लिए महीनों से आंदोलन कर रहे हैं। वांगचुक ने केंद्र सरकार से कहा है कि  लद्दाख़ के लोगों से किये गये वादों को पूरा करना चाहिये और लद्दाख़ को राज्य का दर्ज़ा दे देना चाहिये। वांगचुक कुछ दिन पहले इस मुद्दे पर 21 दिनों के उपवास पर भी बैठे थे। इस दौरान  उन्होंने सिर्फ़ पानी और नमक लिया था।इसके बाद बारी-बारी से लद्दाख़ के लोग उपवास और आंदोलन को आगे बढ़ाये हुए हैं।

वांगचुक को उनके आंदोलन के लिए सिर्फ़ लद्दाख़ नहीं बल्कि पूरे भारत से भी समर्थन मिल रहा है। इससे लद्दाख़ में भाजपा लोकसभा चुनावों में बैकफुट पर आ गयी है। लद्दाख़ के मौजूदा हालात को देखते हुए भाजपा ने लद्दाख़ से अपने सांसद जाम्यांग त्सेरिंग नामग्याल को इस बार टिकट ना देकर लद्दाख़ स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद् के अध्यक्ष ताशी ग्यालसन को टिकट दिया है।

पिछले चुनावों में भाजपा ने लद्दाख़ के लोगों से वादा किया था कि सरकार बनने पर  लद्दाख़ और जम्मू-कश्मीर को अलग कर दोनों को राज्य का दर्ज़ा दिया जायेगा। जबकि भाजपा ने राज्य का दर्ज़ा देने की तो दूर की बात, लद्दाख़ में चल रहे आंदोलन में शामिल लोगों से मिलना भी सही नहीं समझा है।



इसलिए भाजपा ने लद्दाख़ में अपने लोकसभा उम्मीदवार को बदला

वांगचुक ने लद्दाख़ में जहाँ से अपने आंदोलन को शुरू किया हुआ है वो बौद्ध भिक्षुओं का मठ है। भाजपा इस वक़्त लद्दाख़ में लोकसभा का चुनाव जीतने के लिए बौद्ध समुदाय को लुभाने की कोशिश कर रही है। यही कारण है कि भाजपा ने अपने सांसद जाम्यांग का टिकट काटकर ताशी ग्यालसन को दिया है, ताकि बौद्ध समुदाय के वोटरों को भाजपा के पक्ष में किया जा सके। भाजपा के इस क़दम का प्रभाव यह हुआ है कि बौद्ध समुदाय ग्यालसन को टिकट मिलने पर खुश तो है, लेकिन भाजपा को वोट देने पर अभी तक कोई आम सहमति नहीं बना पाये हैं।  बौद्ध समुदाय वांगचुक के साथ उनके आंदोलन में क़दम से क़दम मिलाकर खड़ा रहा है।